किसान हूँ मैं | KISAN HOON MAIN | SUBHAN AHMAD | IMRAN AHMAD |
ग़मों से भरा एक मक़ाम हूँ मैं
उदासियों की देख पहचान हूँ मैं
मेरी चुप चाप सी आँखें कहती है बहुत कुछ
सुन सको तो सुनो
अनसुनी दास्तान हूँ मैं
मेरा वजूद तो देखो
बदनाम है जो शहर में
उसके सर पे जो लगा है
वो बदगुमान हूँ मैं
मैं खेत से आया हूँ मुझे रोटी चाहिये
सारी उम्र थका हारा भूखा
किसान हूँ मैं।
लेखक
इमरान अहमद
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