सब बकवास है COMEDY SCRIPT | SAB BAKWAS HAI COMEDY SCRITS |
अ’
पर कैमरा खुलता है
अ अपनी सीट पर बैठा है। सामने रखे पैड पर उपर से नीचे की ओर देखता है।
अ-आज इंटरव्यू में कौन आने वाला है।
ब-(दरवाजे से प्रवेश करते हुए) हम आने वाले हैं। जरा तमीज से बोलिए, आप कह रहे थे कौन आने वाला है।
अ-जी मैंने आपको देखा नहीं था।
ब-जिसे देखेंगे नहीं, उसे तू तू करेंगे अब सामने हूं मैं तो आप हो गया हूं, ये तो अच्छी बात नहीं।
अ-आप कुछ ज्यादा महसूस कर गये भाई साहब। मैंने एसे ज्यादा कुछ नहीं कहा।
ब-ज्यादा भी कह लो। गालियां दे दो। मैं बाहर चला जाता हूं।
अ-अरे नहीं भाई साहब, यदि आपको कुछ बुरा लगा है तो मैं माफी चाहता हूं।
ब- ठीक है चलो नाराजगी थूक देते हैं। अब आप बतायें आपने हमें क्यूं यहां बुलाया है।
अ- इंटरव्यू लेना है।
ब- बदले में क्या मिलेगा।
अ-कुछ नहीं मिलेगा।
ब- तो मैं इंटरव्यू क्यों दूं। मेरे पास इतना फालतू टाइम नहीं है कि मुफ़्त में इंटरव्यू दे दूं। जल्दी बताओ कुछ देना है या नहीं।
अ-अरे यहां पैसे नहीं दिये जाते हैं। बस मेहमानां का इंटरव्यू लिया जाता है।
ब-यानि हम आपके मेहमान हैं।
अ- जी बिल्कुल
ब-तो पहले नाश्ता कर लें।
अ- पहले इंटरव्यू कर लें।
ब-पहले नाश्ता
अ-पहले इंटरव्यू ।
अ अपनी सीट पर बैठा है। सामने रखे पैड पर उपर से नीचे की ओर देखता है।
अ-आज इंटरव्यू में कौन आने वाला है।
ब-(दरवाजे से प्रवेश करते हुए) हम आने वाले हैं। जरा तमीज से बोलिए, आप कह रहे थे कौन आने वाला है।
अ-जी मैंने आपको देखा नहीं था।
ब-जिसे देखेंगे नहीं, उसे तू तू करेंगे अब सामने हूं मैं तो आप हो गया हूं, ये तो अच्छी बात नहीं।
अ-आप कुछ ज्यादा महसूस कर गये भाई साहब। मैंने एसे ज्यादा कुछ नहीं कहा।
ब-ज्यादा भी कह लो। गालियां दे दो। मैं बाहर चला जाता हूं।
अ-अरे नहीं भाई साहब, यदि आपको कुछ बुरा लगा है तो मैं माफी चाहता हूं।
ब- ठीक है चलो नाराजगी थूक देते हैं। अब आप बतायें आपने हमें क्यूं यहां बुलाया है।
अ- इंटरव्यू लेना है।
ब- बदले में क्या मिलेगा।
अ-कुछ नहीं मिलेगा।
ब- तो मैं इंटरव्यू क्यों दूं। मेरे पास इतना फालतू टाइम नहीं है कि मुफ़्त में इंटरव्यू दे दूं। जल्दी बताओ कुछ देना है या नहीं।
अ-अरे यहां पैसे नहीं दिये जाते हैं। बस मेहमानां का इंटरव्यू लिया जाता है।
ब-यानि हम आपके मेहमान हैं।
अ- जी बिल्कुल
ब-तो पहले नाश्ता कर लें।
अ- पहले इंटरव्यू कर लें।
ब-पहले नाश्ता
अ-पहले इंटरव्यू ।
ब-ये इज्जत है मेहमान की आपकी नजरां में। हमें आप नाश्ते लायक भी नहीं समझते।
(कुछ रूककर) चलिए चाय तो मंगा लीजिए।
अ-अरे मेरे मित्र पहले इंटरव्यू दे दो फिर चाय नाश्ता देख लेंगे।
ब-पहले मेहमान, अब मित्र, इज्जत किसी की ना करनी-मत करो चलो इंटरव्यू ले लो।
अ- जी शुक्रिया आप तशरीफ रखें
ब- बैठते हुए तोतली आवाज़ में तलिए थवाल तले
अ-अरे कैसे बोल रहे हैं आप अभी तो ठीक ठाक बोल रहे थे।
ब-त्या बज लहा है।
अ- शाम के सात बजे हैं।
ब-बथ थात बदे के बाद मैं तुतलाने लदता हूं।
अ-ये क्या है।
ब- बीमारी है। थाम के थात से सुबह के थात तक मैं तोतला बोलूंगा। आप दिन में थीत लंहूंगा।
अ-ये कैसी बीमारी है।
ब- अभी नई है। इसी साल डब्ल्यू एच ओ ने एप्रूवड की है।
अ- जी
ब- दी दित्तत है तो तल थवेले इंटल्व्यू ले लेना।
अ-नहीं नहीं फिर नहीं अभी पूला तल लेते हैं।
मेरा मतलब पूरा कर लेते हैं।
ब- तल कला लो। मुदे लगता है तुम्हें भी ये बीमाली हो दई है।
अ- जी मैं ठीक हूं। आप अगला जवाब दें।
ब- आप अदला थवाल लें।
अ- आपका नाम
ब- थतिन देंदुलकल
अ- सचिन तेंदुलकर
ब- हां जी थतिन देंदुलकर
अ- तो आप क्रिकेट खेलते हैं।
ब- थतिन देंदुलकर ने नाम ता कापी लाइट ले लखा है कि कि तोई और ऐसा नाम ना होगा। ऑल मैं तिलकेट भी ना थेलता।
अ- आप क्रिकेट नहीं खेलते
ब- ना थेलता, तु थेले
अ- मैं खेलता हूं
ब- मैंने तो तुझे आपीएल में ना देखा
अ- अरे भाई वहां तक नहीं पहुंचे
ब- तो टैम त्यूं थराब कर रया है
अ- हरे ये आप तु तू से क्यों बोल रहे हैं।
ब- थारी थारी। आपने मुदे अपना मित्र तहा था ना सा मुंह से नितल गया। तलो अगला थवाल कलो
अ- आप ये बताइये, श्रीमान आपकी बीमारी के लाभ क्या है और नुकसान क्या हैं
ब- (तोतली आवाज में) लाभ ये है कि 12 घंटे संभल संभल कर बोलना पड़ता है फिर वही टाइम बीबी का होता है, उसके सामने बोलने की
जरूरत पड़ती ही नहीं। आदर्श पति की तरह सुनता रहता हूं। बो भी खुश अपन भी खुश।
अ- (हानि बताइए)
ब- (तुतलाकर) जी सुनिए। नुकसान तो बहुत है। यदि सामने वाला ठीक बोलने बाला है तो ठीक है लेकिन यदि सामने वाला भी तोतला हुआ तो
बस
अ- तो क्या होता है।
ब- (तुतलाकर) आपस में जूतम पेजार हो जाता है। वो समझता है मै उसे चिढ़ा रहा हूं। मै समझता हूं वो मुझे चिढ़ा रहा है जब लोग आकर
दोनों की गलत फहमी दूर करते हैं।
अ-कोई यादगार वाक्या सनायें हमारे दर्शकों को।
ब-(तुतलाकर) जी सुनिए। एक बार हम दो तोतलो में झगड़ा हो गया। बजार में खुले सांडो की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े। इसी बीच एक
आदमी हमें छुड़ाने आ गया।
अ- ये तो अच्छी बात रही, नहीं तो दोनां में से एक आपनी जान से हाथ धो बैठता।
ब- लेकिन जान से हाथ धो बैठा, हमें बचाने आया आदमी।
अ-अरे! ये क्या कह रहे हो भाई! एक तो वो तुम्हे बचा रहा था और उसे ही तुमने . . . .
ब- डलती हमारी भी ना थी। जब वो हमें अलग कर रहा था, तो वह तोतली आवाज़ में बोल रहा था। हम दोनों को लगा ये हम दोनों की
मजाक बना रहा है। बस फिर क्या था हम दोनो ने सीजफायर कर लिया और मिलकर तीसरे पर टूट पड़े।
(कुछ रूककर) बाद ये पोस्टमार्टम से पता चला कि वह भी तोतला था।
अ- हलेलाम हलेलाम।
ब- अरे तू भी तोतला बोल रहा है। पोस्टमार्टम कराना है क्या।
अ- नहीं भाई नहीं, वो तुम मेरे दिमाग पर इस कदर हावी हो गये हो कि मैं भी
ब-(तोतला) ठीक है, हो जाता है। चलो अपला ख्याल करो।
अ- आपकी शादी रात में हुई या दिन में।
ब- इस बीमारी की वजह से शादी दिन में ही रखी थी, ताकि शाम के सात बजे से पहले दुल्हन को घर ले आयें, लेकिन हो ना सका।
अ- हो ना सका।ब-जी पहले बैंड बाजों ने आने में देर कर दी। फिर हमारे फूफा नाराज हो गये। पहले तर जिस घोड़ी पर बैठना था, उसे कोई
थोड़ा भगाकर ले गया।
अ- बड़ी मनोरंजक कहानी है।
ब- मनोरंजक औरां के लिए है मेरे लिए तो दर्द भरा इतिहास है।
अ- फिर कैसे निबटे आप।
ब- सर जी। पैसे बढ़ाने तो बैंड वाले भी आ गये। फूफा को उनकी पसंद का सूट, खरीदवाया, वो भी नागिन डांस करने लगे। बस घोड़ी ना
मिली।
अ- फिर
ब- फिर क्या ई रिक्शा सब्जी के ठेले पर कुर्सी रखकर बैठकर मंडप और उस पर पहुंच गए। लेकिन जब फरें हो पर बैठे, तब तक शाम के सात
बजे गए हमारी बीमारी खड़ी हो गई।
अ- राम-राम।
ब - जी राम राम। फिर तो पंडित ने जो कहा हमें समझ ना आया और हमने क्या कहा ये पंडित को नहीं समझ में आया। बस किसी तरह फेरे हो
गए। दुल्हान हमारी हो गई।
अ- चलिए इज्जत के साथ अपप दुल्हन को घर ले आए।
ब- जी वो तो ठीक। लेकिन सुहागरात में बड़ा खेल हो गया।
अ- सुनाईए। बड़ी इन्टरेस्टिंग कहानी है
ब- सुनने वालों के लिए तो इनरेस्टिंग ही है। मेरी लिए हादसे से कम नहीं थी।
अ- जी विस्तार से प्रकाश डालो।
ब- सुनिए। सुहाग सेज पर 16 श्रंगारों से हमारी दुल्हन मुखड़े पर झीना पर्दा लिए बैठी थी। तेज धड़कनों के साथ हम दुल्हन के पास पहुंचे। वे
मखमली कीड़ की तरह सिमटती जा रही थी। हम एक दिन के राजन बने उसकी ओर बढ़ते जा रहे थे।
अचानक दुल्हन की आवाज कानों में पड़ी। जी आप छुआरों वाला दूध पकर आए या नहीं। मैं बोला एक नहीं दो गिलास। इतना कहना था दुल्हन
बिखर गई दूसरा गिलास किसके लिए - कोई सौतन पाल रखी है क्या . . .
हम बोले अरी भागवान ऐसा कुछ नहीं हैं तुम इतनी तन्दरूस्त है कि मुझे लगा एक गिलास से काम नहीं चलेगा।
वह बोली मुकाबला बराबर का होना चाहिए, जाइए मेरे लिए भी दो गिलास दूध लेकर आईए। 8-10 छुआरे भी लेकर आना।
अ- वाह क्या बात है। आखिर में बताईए आपका दाम्पत्तीय जीवन कैसा चल रहा है।
ब- अब तो बस रोजाना मैडम को दूध और छुआरा ही आदत पड़ गई। छुआरों की संख्या भी बढ़ गई है।
अ- अच्छा अब कहां जहा रहे है
ब- बाजार। छुआरा का पैकेट लेने।
अ- ठीक हैं अब आप जा सकते है
ब- जी आपकी भी छुआरे मांगती होगी। आप कहां से खरीदते हैं
अ- मैं तो अफगानिस्तान से मंगा रहा हूं।
ब- ठीक है। उस कम्पनी का एड्रेस मुझे भी दे देना।
(कुछ रूककर) चलिए चाय तो मंगा लीजिए।
अ-अरे मेरे मित्र पहले इंटरव्यू दे दो फिर चाय नाश्ता देख लेंगे।
ब-पहले मेहमान, अब मित्र, इज्जत किसी की ना करनी-मत करो चलो इंटरव्यू ले लो।
अ- जी शुक्रिया आप तशरीफ रखें
ब- बैठते हुए तोतली आवाज़ में तलिए थवाल तले
अ-अरे कैसे बोल रहे हैं आप अभी तो ठीक ठाक बोल रहे थे।
ब-त्या बज लहा है।
अ- शाम के सात बजे हैं।
ब-बथ थात बदे के बाद मैं तुतलाने लदता हूं।
अ-ये क्या है।
ब- बीमारी है। थाम के थात से सुबह के थात तक मैं तोतला बोलूंगा। आप दिन में थीत लंहूंगा।
अ-ये कैसी बीमारी है।
ब- अभी नई है। इसी साल डब्ल्यू एच ओ ने एप्रूवड की है।
अ- जी
ब- दी दित्तत है तो तल थवेले इंटल्व्यू ले लेना।
अ-नहीं नहीं फिर नहीं अभी पूला तल लेते हैं।
मेरा मतलब पूरा कर लेते हैं।
ब- तल कला लो। मुदे लगता है तुम्हें भी ये बीमाली हो दई है।
अ- जी मैं ठीक हूं। आप अगला जवाब दें।
ब- आप अदला थवाल लें।
अ- आपका नाम
ब- थतिन देंदुलकल
अ- सचिन तेंदुलकर
ब- हां जी थतिन देंदुलकर
अ- तो आप क्रिकेट खेलते हैं।
ब- थतिन देंदुलकर ने नाम ता कापी लाइट ले लखा है कि कि तोई और ऐसा नाम ना होगा। ऑल मैं तिलकेट भी ना थेलता।
अ- आप क्रिकेट नहीं खेलते
ब- ना थेलता, तु थेले
अ- मैं खेलता हूं
ब- मैंने तो तुझे आपीएल में ना देखा
अ- अरे भाई वहां तक नहीं पहुंचे
ब- तो टैम त्यूं थराब कर रया है
अ- हरे ये आप तु तू से क्यों बोल रहे हैं।
ब- थारी थारी। आपने मुदे अपना मित्र तहा था ना सा मुंह से नितल गया। तलो अगला थवाल कलो
अ- आप ये बताइये, श्रीमान आपकी बीमारी के लाभ क्या है और नुकसान क्या हैं
ब- (तोतली आवाज में) लाभ ये है कि 12 घंटे संभल संभल कर बोलना पड़ता है फिर वही टाइम बीबी का होता है, उसके सामने बोलने की
जरूरत पड़ती ही नहीं। आदर्श पति की तरह सुनता रहता हूं। बो भी खुश अपन भी खुश।
अ- (हानि बताइए)
ब- (तुतलाकर) जी सुनिए। नुकसान तो बहुत है। यदि सामने वाला ठीक बोलने बाला है तो ठीक है लेकिन यदि सामने वाला भी तोतला हुआ तो
बस
अ- तो क्या होता है।
ब- (तुतलाकर) आपस में जूतम पेजार हो जाता है। वो समझता है मै उसे चिढ़ा रहा हूं। मै समझता हूं वो मुझे चिढ़ा रहा है जब लोग आकर
दोनों की गलत फहमी दूर करते हैं।
अ-कोई यादगार वाक्या सनायें हमारे दर्शकों को।
ब-(तुतलाकर) जी सुनिए। एक बार हम दो तोतलो में झगड़ा हो गया। बजार में खुले सांडो की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े। इसी बीच एक
आदमी हमें छुड़ाने आ गया।
अ- ये तो अच्छी बात रही, नहीं तो दोनां में से एक आपनी जान से हाथ धो बैठता।
ब- लेकिन जान से हाथ धो बैठा, हमें बचाने आया आदमी।
अ-अरे! ये क्या कह रहे हो भाई! एक तो वो तुम्हे बचा रहा था और उसे ही तुमने . . . .
ब- डलती हमारी भी ना थी। जब वो हमें अलग कर रहा था, तो वह तोतली आवाज़ में बोल रहा था। हम दोनों को लगा ये हम दोनों की
मजाक बना रहा है। बस फिर क्या था हम दोनो ने सीजफायर कर लिया और मिलकर तीसरे पर टूट पड़े।
(कुछ रूककर) बाद ये पोस्टमार्टम से पता चला कि वह भी तोतला था।
अ- हलेलाम हलेलाम।
ब- अरे तू भी तोतला बोल रहा है। पोस्टमार्टम कराना है क्या।
अ- नहीं भाई नहीं, वो तुम मेरे दिमाग पर इस कदर हावी हो गये हो कि मैं भी
ब-(तोतला) ठीक है, हो जाता है। चलो अपला ख्याल करो।
अ- आपकी शादी रात में हुई या दिन में।
ब- इस बीमारी की वजह से शादी दिन में ही रखी थी, ताकि शाम के सात बजे से पहले दुल्हन को घर ले आयें, लेकिन हो ना सका।
अ- हो ना सका।ब-जी पहले बैंड बाजों ने आने में देर कर दी। फिर हमारे फूफा नाराज हो गये। पहले तर जिस घोड़ी पर बैठना था, उसे कोई
थोड़ा भगाकर ले गया।
अ- बड़ी मनोरंजक कहानी है।
ब- मनोरंजक औरां के लिए है मेरे लिए तो दर्द भरा इतिहास है।
अ- फिर कैसे निबटे आप।
ब- सर जी। पैसे बढ़ाने तो बैंड वाले भी आ गये। फूफा को उनकी पसंद का सूट, खरीदवाया, वो भी नागिन डांस करने लगे। बस घोड़ी ना
मिली।
अ- फिर
ब- फिर क्या ई रिक्शा सब्जी के ठेले पर कुर्सी रखकर बैठकर मंडप और उस पर पहुंच गए। लेकिन जब फरें हो पर बैठे, तब तक शाम के सात
बजे गए हमारी बीमारी खड़ी हो गई।
अ- राम-राम।
ब - जी राम राम। फिर तो पंडित ने जो कहा हमें समझ ना आया और हमने क्या कहा ये पंडित को नहीं समझ में आया। बस किसी तरह फेरे हो
गए। दुल्हान हमारी हो गई।
अ- चलिए इज्जत के साथ अपप दुल्हन को घर ले आए।
ब- जी वो तो ठीक। लेकिन सुहागरात में बड़ा खेल हो गया।
अ- सुनाईए। बड़ी इन्टरेस्टिंग कहानी है
ब- सुनने वालों के लिए तो इनरेस्टिंग ही है। मेरी लिए हादसे से कम नहीं थी।
अ- जी विस्तार से प्रकाश डालो।
ब- सुनिए। सुहाग सेज पर 16 श्रंगारों से हमारी दुल्हन मुखड़े पर झीना पर्दा लिए बैठी थी। तेज धड़कनों के साथ हम दुल्हन के पास पहुंचे। वे
मखमली कीड़ की तरह सिमटती जा रही थी। हम एक दिन के राजन बने उसकी ओर बढ़ते जा रहे थे।
अचानक दुल्हन की आवाज कानों में पड़ी। जी आप छुआरों वाला दूध पकर आए या नहीं। मैं बोला एक नहीं दो गिलास। इतना कहना था दुल्हन
बिखर गई दूसरा गिलास किसके लिए - कोई सौतन पाल रखी है क्या . . .
हम बोले अरी भागवान ऐसा कुछ नहीं हैं तुम इतनी तन्दरूस्त है कि मुझे लगा एक गिलास से काम नहीं चलेगा।
वह बोली मुकाबला बराबर का होना चाहिए, जाइए मेरे लिए भी दो गिलास दूध लेकर आईए। 8-10 छुआरे भी लेकर आना।
अ- वाह क्या बात है। आखिर में बताईए आपका दाम्पत्तीय जीवन कैसा चल रहा है।
ब- अब तो बस रोजाना मैडम को दूध और छुआरा ही आदत पड़ गई। छुआरों की संख्या भी बढ़ गई है।
अ- अच्छा अब कहां जहा रहे है
ब- बाजार। छुआरा का पैकेट लेने।
अ- ठीक हैं अब आप जा सकते है
ब- जी आपकी भी छुआरे मांगती होगी। आप कहां से खरीदते हैं
अ- मैं तो अफगानिस्तान से मंगा रहा हूं।
ब- ठीक है। उस कम्पनी का एड्रेस मुझे भी दे देना।
समाप्त
लेखक
सत्यराज
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